गन्ने की उन्नत किस्म CO-0238 ने गन्ने की पैदावार को लगभग डेढ़ गुना बढ़ा दिया है। यह किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। गन्ना क्षेत्र में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
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गन्ने की नई किस्म का जूस अनुपात अधिक होने से गन्ने का वजन बढ़ गया है। इससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल रहा है और चीनी उत्पादन भी बढ़ा है।
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उत्तर प्रदेश गन्ने की नई किस्मों के चलते गन्ना उत्पादन में अग्रणी राज्य बन गया है। साथ ही राज्य चीनी उत्पादन में भी नंबर एक पर आ गया है।
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गन्ने की उन्नत्त किस्म को उगाने के लिए किसानों को खरपतवार नियंत्रण, निराई-गुड़ाई, उपचारित पौधे और फसल कटाई का सही समय आदि का ध्यान रखना चाहिए।
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गन्ने की नई किस्म उत्पादकता बढ़ाने के लिए एज़ोस्पिरिलम जैव उर्वरकों का उपयोग, बुआई से पहले 4-4.8 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद डालना लाभदायक है।
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गन्ना उगाने वाले किसान अब प्रमुख रूप से C0-0238, C0-980214, C0-94184 जैसी उन्नत किस्मों को ही उगा रहे हैं क्योंकि इनकी पैदावार अधिक है।
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किसान गन्ने की कटाई के बाद उसकी पत्तियों का मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग कर रहे हैं जिससे उनकी आय में और इजाफा हो रहा है।
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गन्ने की नई किस्मों के उगाने से किसानों को प्रति बीघा 50 क्विंटल से अधिक की उपज मिल रही है जबकि गन्ने का मौजूदा मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल है।
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गन्ने की नई किस्मों के फायदे हैं कम सिंचाई की जरूरत, पत्तियों का चारा इस्तेमाल, बेहतर जूस अनुपात और अधिक उपज। इससे किसानों की आमदनी दोगुनी हुई है।